Chudail Ya Kuchh Aur – Chudail Ki Kahani


Chudail Ya Kuchh Aur – Chudail Ki Kahani

ये कहानी मेरे भाभी की हैं. मैंने ये कहानी अपने घर मे सुना हैं. भूत प्रेत होते हैं या नहीं. मैं इन सभी चीजों से दूर ही रहता हूँ. मुझे तो लगता हैं, की ये सब चीज नहीं होती हैं. पर कुछ चीजों के बारे मे न भी हाँ होता हैं. जो चीज नहीं दिखता हैं वो चीज हमारे आस पास ही होता हैं. एक बार मेरी भाभी के साथ भी ऐसा ही हुआ. वो घर पर थी जब उसके साथ ये हादसा हुआ. एक बहुत ही खराब एहसास जिसके बारे मे बता पाना बहुत मुसकिल हैं.
 जिस के कारण हमे बहुत कुछ सहना पड़ गया. बात आज से बहुत पहले की हैं. उस वक़्त भईया भाभी शहर मे एक भाड़े के रूम मे रहा करते थे. मेरे भईया और भाभी दोनों वहाँ रहते थे. पर जिस घर मे वो दोनों रहते थे वो घर बहुत ही अपसगुण था. क्यू की एक ऐसा घटना घटा जिस के कारण आज भी भाभी का दिल दहल जाता हैं. जिस जगह मेरे भईया और भाभी रहा करते थे. ठीक उसी जगह एक नीम का पेड़ था. नीम का पेड़ बहुत पुराना और घना था. वो पेड़ ठीक आँगन मे था.
 जिस वजह से जब भी काम होता तो आँगन मे जाना पड़ता. आँगन भी ऐसा था की चारों तरफ से ढाका हुआ था. चरो तरफ से चार दिवारी किया हुआ था. कपड़ा धोना हो या फिर बर्तन ही धोना हो. तो उस आँगन तक जाना पड़ता था. भईया का ड्यूटि भी रात तक रहता था. रात के समय अपना ड्यूटि पूरा कर के वापस घर आते. कभी कभी बहुत देर भी हो जाता.
 वहाँ घर मे भाभी अकेली रहती. घर मे कोई नहीं था सिर्फ भईया और भाभी. भाभी भी गर्भवती थी उन्हे बच्चा होने वाला था. इस हालत मे भईया और भाभी अंजान शहर मे अकेले रहते थे. कितने बार भईया सोचे भी की वो भाभी को घर छोड़ आएंगे. पर ड्यूटि से छुट्टी मिल ही नहीं पा रहा था. जब भी छुट्टी के लिए अर्जी देते कोई न कोई काम रह ही जाता.
 जिस कारण अर्जी स्वीकार ही नहीं हो पा रहा था. भाभी भी रोज कहती की मुझे मेरे मायके छोड़ दो या फिर मेरे भाई को बुला दो. मैं घर चले जाऊँगी. पर भईया का जिद्द था की वो खुद भाभी को घर तक छोड़ कर आएंगे. दिन भी बितता चला जा रहा था. हकीकत तो ये था की भाभी को उस घर मे डर  लगता था. उस अकेले घर मे जब भईया नहीं रहते, तो भाभी को किसी की मौजूदगी का एहसास होता था. नहीं पता जिसका एहसास होता था वो चुड़ैल या कुछ और थी.
 पर जो भी थी वो अपनी मौजूदगी का एहसास कराते रहती थी. पर भईया भूत प्रेत या चुड़ैल पर थोड़ा भी बिश्वश नहीं करते थे. उन्हे तो लगता था की ये सब कुछ होता ही नहीं हैं. पर सच ही कहा गया हैं. जिसके साथ बीतता हैं वो ही जनता हैं की भूत , प्रेत या चुड़ैल कैसी होती हैं. भाभी को भी इन सभी चीजों पर बिश्वश नहीं था. पर जो चीज नजरों के सामने घटता हो, उसे रोज नजर अंदाज नहीं किया जा सकता हैं. कुछ तो जरूर हैं तभी तो अनहोनी घटना घट रही थी. कोई आस पास हैं पर खुल कर सामने नहीं आ रही थी.
 वो चुड़ैल या कुछ थी. पर उसकी मौजूदगी का एहसास हो रहा था. भाभी जान चुकी थी की घर के आँगन मे जो नीम का पेड़ हैं उस पेड़ पर चुड़ैल रहती हैं. वो सामने तो नहीं आ रही हैं पर बार बार भाभी को डराने की कोशिश कर रही हैं. भाभी भी बहुत डर चुकी थी डर का एहसास उसके अंदर हावी होता चला जा रहा था. जब कभी भी रात होता और भाभी किसी काम से अपने घर के आँगन मे जाती.
 तो ऐसा लगता की कोई अभी अभी उस नीम के पेड़ के पास खड़ी है और भाभी को देख कर पेड़ के आड़ मे छुप गई. भाभी किसी औरत को वहाँ देखती जो तुरंत अदृश्य हो जाती. भाभी पेट से थी और डर भी लग रहा था. कोई ऐसा अनहोनी घटता न घट जाए. कभी किसी काम से आँगन तक तो जाना ही पड़ता था. भईया भी ड्यूटि खत्म कर के देर से वापस आते थे.
 जब कभी भाभी ये बात भईया को  बताती की नीम के पेड़ के पास कोई हैं. तो भईया उनके बात का मज़ाक बना देते और बोलते की तुम भी पढ़ी लिखी हो कर इन सभी बातों पर यकीन करती हो. भूत प्रेत या चुड़ैल तो सिर्फ किस्से कहानियों मे ही अच्छे लगते हैं. हकीकत मे थोड़ी न होते हैं. भाभी अपना बात रखना चाहती पर भईया समझना नहीं चाह रहे थे. कुछ दिन बीत गए. एक रात की बात हैं भाभी रात के समय आँगन मे कुछ लेने के लिए गई थी. ज्यादा रात नहीं हुआ था.
 बस शाम ढाल कर रात मे बादल चुकी थी. भाभी आँगन मे गई. अंदर घबराहट थी क्यू की वो जानती थी की नीम के पेड़ के पास एक चुड़ैल रहती हैं. जब वो आँगन से समान ले कर जैसे ही घर के अंदर जाने के लिए मुड़ी की देखी. एक औरत जो की सफ़ेद रंग का साड़ी पहने हुए हैं और ठीक उसके सामने खड़ी हैं. अब भाभी करे तो क्या करे घर के अंदर जाने का जो रास्ता था. वो चुड़ैल ठीक उसी रस्ता के पास खड़ी थी. अब वहाँ से बच कर भागने का कोई और जगह नहीं था.
 चारों तरफ दीवार का घेरा. भाभी जहां पर खड़ी थी वो चुड़ैल भी ठीक उनके सामने ही खड़ी हो गई. अब वो दोनों आमने सामने थी, भाभी डरते हुए बोली की तुम कौन हो और यहा क्या कर रही हो. तो वो औरत बोली की मैं बहुत दिनो से तुम्हें देख रही हूँ. रोज अकेले मे यहा मेरे घर के पास आती हो और चले जाती हो. मैं इसी नीम के पेड़ पर रहती हूँ. भाभी बहुत पहले से जानती थी की ये कुछ और नहीं बल्कि चुड़ैल ही हैं. भाभी किसी तरह हिम्मत बांध कर उस से बोली की तुम्हारा यहा क्या काम, यहाँ से चले क्यू नहीं जाती हो. तो चुड़ैल बोली की मैं तो यहा से चले जाऊँगी पर मुझे तुम्हारा बच्चा चाहिए.
 मुझे पता हैं की तुम गर्भ से हो और मुझे तुम्हारा बच्चा चाहिए. भाभी बोली की ऐसा नहीं हो सकता हैं. तुम यहा से चले जाओ. पर वो चुड़ैल कहाँ मानने वाली थी. वो धीरे धीरे भाभी के तरफ बढ्ने लगी. भाभी अपना जान बचा कर किधर जा सकती थी. वो तो चारों तरफ से फस चुकी थी. चारों तरफ दीवार और जिस तरफ दरवाजा था. ठीक उसे  छेक कर चुड़ैल खड़ी थी. चुड़ैल भाभी के तरफ बढ़ी भाभी बहुत डर चुकी थी. चुड़ैल तभी भाभी के पेट पर अपना हाथ रख दी. जैसे ही वो चुड़ैल भाभी के पेट पर हाथ रखी. अजीब सा सिहरण उनके शरीर मे हुआ. भाभी बहुत डर गई, डर और घबराहट से एक बहुत ही दर्दनाक चीख गुजने लगा.
 एक चीख जो वहाँ आस पास मे फैल गया. घर के अगल बगल के लोग दौड़ते हुए घर पहुचे. सभी ने देखा की भाभी बेहोश पड़ी हुई हैं. उन्हे उठा कर घर के अंदर लाया गया. बहुत देर के बाद उन्हे होश आया. उन्होने ये बात सभी को बताई की कैसे एक चुड़ैल जो की नीम के पेड़ के पास रहती हैं. उसने उसके पेट पर हाथ रख दिया. तब तक भईया भी ड्यूटि से वापस आ गए. आस पास के लोग भी कहने लगे की इन्हे ले कर गाँव क्यू नहीं जाते हो.
 जब भी कोई गर्भवती रहे तो रिस्क नहीं लेना चाहिए. कभी भी अकेले नहीं छोडना चाहिए.  भईया उसके सुबह ही भाभी को ले कर अपने घर चले आए. पर अफसोस कुछ ही दिनो के बाद भाभी का गर्भपात हो गया. बच्चा पेट मे ही खत्म हो गया. काश जब भाभी पहली बार भईया को बोली की घर मे कुछ हैं. तभी वो उन्हे ले कर गाँव चले आते तो आज भईया एक बच्चे के पिता होते.